भारत का 26वां गणतंत्र दिवस समारोह
भारत ने 26 जनवरी 1975 को अपना 26वां गणतंत्र दिवस बड़े उत्साह और गौरव के साथ मनाया। यह दिन भारत के संविधान को अपनाने की वर्षगांठ है, जिसने 1950 में देश को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तित कर दिया।
मुख्य समारोह नई दिल्ली में राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर आयोजित हुआ, जिसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सैन्य शक्ति और विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का भव्य प्रदर्शन किया गया।
समारोह की मुख्य झलकियाँ:
- राजपथ पर परेड
गणतंत्र दिवस परेड इस समारोह का मुख्य आकर्षण थी। परेड की शुरुआत भारत के राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद के आगमन से हुई, जिन्होंने सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर के रूप में सलामी ली। सेना, नौसेना और वायुसेना की टुकड़ियों ने अपने शानदार मार्चिंग कौशल का प्रदर्शन किया, जबकि विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झांकियों ने उनकी अनूठी परंपराओं और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया। - मुख्य अतिथि
हर वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में एक विदेशी मेहमान को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। 1975 में नेपाल के महाराज राजा वीरेन्द्र इस समारोह के मुख्य अतिथि थे, जो भारत और नेपाल के मजबूत संबंधों का प्रतीक है। - सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
- देशभर के स्कूली बच्चों और कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जो भारत की विविधता में एकता को दर्शाती हैं। पारंपरिक नृत्य, संगीत और रंगीन वेशभूषा ने इस समारोह को बेहद मनोरम बना दिया।
- सैन्य प्रदर्शन
सशस्त्र बलों ने अपनी शक्ति और आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया, जिसमें टैंक, मिसाइल और लड़ाकू विमान शामिल थे। भारतीय वायुसेना के जेट विमानों ने आकाश में तिरंगा बनाकर परेड का रोमांचक समापन किया। - पुरस्कार और सम्मान
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण सेवा के लिए प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार और बहादुरी के लिए वीरता पदक प्रदान किए।
पूरे देश में उत्सव:
जहां मुख्य कार्यक्रम नई दिल्ली में हुआ, वहीं राज्य की राजधानियों और अन्य शहरों में भी परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्कूलों और कॉलेजों में ध्वजारोहण, निबंध प्रतियोगिताएं और देशभक्ति गीतों के माध्यम से छात्रों में देशभक्ति की भावना जगाई गई।
महत्व:
1975 में मनाया गया 26वां गणतंत्र दिवस विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह उस समय आया जब भारत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बदलावों के दौर से गुजर रहा था। इस दिन ने संविधान में निहित सिद्धांतों और देश की लोकतांत्रिक और प्रगतिशील प्रतिबद्धता की याद दिलाई।
गणतंत्र दिवस सभी भारतीयों के लिए गर्व, चिंतन और उत्सव का दिन है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों और संविधान निर्माताओं के योगदान का सम्मान करता है, जिन्होंने भारत को लोकतांत्रिक आधारशिला दी।